भारत में इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (ITI) स्किल डेवलपमेंट का एक अहम हिस्सा हैं। जो छात्र तकनीकी क्षेत्र में कौशल सीखकर नौकरी प्राप्त करना चाहते हैं, वे ITI का चयन करते हैं। लेकिन ITI में दाखिला लेने के लिए कुछ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी शर्तें होती हैं, जिनका पूरा होना अनिवार्य है।
आईटीआई में एडमिशन के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होना क्यों जरूरी है?
आईटीआई में वो छात्र ही एडमिशन ले सकते हैं जो मानसिक और शारीरिक रूप से उस ट्रेड के काम के लिए सक्षम हों। इसका मतलब यह नहीं कि उम्मीदवार पूरी तरह स्वस्थ होना चाहिए, लेकिन वह चुने गए कोर्स के अनुसार काम करने में सक्षम हो।
उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र इलेक्ट्रीशियन बनना चाहता है, तो उसके हाथ-पैर सही तरीके से काम करने चाहिए, ताकि वह वायरिंग, इंस्टॉलेशन और मेंटेनेंस जैसे कार्य ठीक से कर सके।
तकनीकी ट्रेड में फिटनेस क्यों मायने रखती है?
आईटीआई के टेक्निकल ट्रेड्स में अक्सर शारीरिक मेहनत, सटीकता और सुरक्षा की आवश्यकता होती है। ऐसे में अगर छात्र को देखने, पकड़ने या संतुलन बनाए रखने में परेशानी है तो यह जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए छात्र का:
मानसिक रूप से सतर्क और भावनात्मक रूप से संतुलित होना जरूरी है।
शारीरिक रूप से मशीनों और उपकरणों को संभालने में सक्षम होना चाहिए।
ऐसी कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए जो काम करने में बाधा बने।
यह केवल छात्र की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि दूसरों की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है।
दिव्यांग छात्रों के लिए सीट आरक्षण (4% कोटा)
सरकार की समावेशी शिक्षा नीति के तहत आईटीआई में दिव्यांग छात्रों के लिए 4% सीटें आरक्षित होती हैं। लेकिन इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए कुछ शर्तें हैं:
छात्र की दिव्यांगता कम से कम 40% होनी चाहिए।
दिव्यांगता का प्रमाण पत्र मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) द्वारा जारी होना चाहिए।
दिव्यांगता ऐसी होनी चाहिए जो चुने गए ट्रेड के काम में अवरोध न बने।
जैसे – अगर किसी छात्र के पैरों में 50% दिव्यांगता है, तो वह कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे कोर्स के लिए योग्य हो सकता है, लेकिन मैकेनिक या वेल्डर जैसे ट्रेड्स के लिए नहीं।
सीएमओ द्वारा दिव्यांगता प्रमाण पत्र अनिवार्य
दिव्यांग छात्र को एडमिशन के समय अपने जिले के CMO से प्रमाणित दिव्यांगता प्रमाण पत्र लाना अनिवार्य है। यह प्रमाण पत्र:
सरकारी अस्पताल से होना चाहिए।
दिव्यांगता की प्रतिशत और प्रकृति स्पष्ट रूप से लिखी होनी चाहिए।
नियत समय सीमा के अंदर जारी हुआ होना चाहिए।
इसके बिना छात्र आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकता।
कुछ ट्रेड्स के लिए विशेष चिकित्सीय जांच जरूरी
कुछ आईटीआई कोर्सेज जैसे कि मैकेनिक मोटर व्हीकल (MMV) में दाखिला लेने से पहले विशेष मेडिकल फिटनेस जांच कराई जाती है, क्योंकि:
इन कोर्स में भारी सामान उठाना होता है।
गाड़ियों को चलाना और मरम्मत करना पड़ता है।
कार्य वातावरण शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण होता है।
इसलिए ऐसे ट्रेड्स के लिए एक स्पेशल डॉक्टर द्वारा फिटनेस जांच करवाई जाती है, जो यह तय करता है कि छात्र उस ट्रेड के लिए सक्षम है या नहीं।
आईटीआई एडमिशन के लिए आंखों की रोशनी से जुड़े नियम
कई ट्रेड्स में आंखों की रोशनी बहुत मायने रखती है, इसलिए कुछ न्यूनतम मानदंड तय किए गए हैं:
दोनों आंखों में 6/18 दृष्टि होनी चाहिए, या
एक आंख में 6/24 और दूसरी आंख सामान्य होनी चाहिए।
कलर ब्लाइंडनेस वाले छात्र इलेक्ट्रीशियन या इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक जैसे ट्रेड्स में आवेदन नहीं कर सकते।
अगर किसी की एक आंख नहीं है, लेकिन वह कलर ब्लाइंड नहीं है, तो वह आवेदन कर सकता है।
इससे यह सुनिश्चित होता है कि छात्र उपकरणों को देख सके, रंगों को पहचान सके और मशीनों का सुरक्षित उपयोग कर सके।
क्या आंशिक रूप से दिव्यांग छात्र ITI में एडमिशन ले सकते हैं?
हां, आंशिक दिव्यांगता वाले छात्र भी ITI में एडमिशन ले सकते हैं, अगर उनकी दिव्यांगता उस ट्रेड के कार्य में बाधा नहीं डालती। यह जांच ट्रेड के अनुसार होती है:
हाथ की दिव्यांगता वाले छात्र इलेक्ट्रीशियन जैसे ट्रेड्स के लिए अयोग्य हो सकते हैं, लेकिन वे कंप्यूटर आधारित ट्रेड्स के लिए योग्य हो सकते हैं।
पैर की दिव्यांगता वाले छात्र वेल्डर या मैकेनिक जैसे ट्रेड्स के लिए फिट नहीं हो सकते, लेकिन डेस्क वर्क वाले कोर्स के लिए पात्र हो सकते हैं।
क्या आंशिक रूप से दिव्यांग छात्र ITI में एडमिशन ले सकते हैं?
कुछ कोर्स ऐसे हैं जिनमें शारीरिक श्रम की जरूरत कम होती है, और जो दिव्यांग छात्रों के लिए अधिक उपयुक्त माने जाते हैं:
कंप्यूटर ऑपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट (COPA)
डेस्कटॉप पब्लिशिंग ऑपरेटर (DTP)
डाटा एंट्री ऑपरेटर
कॉल सेंटर असिस्टेंट
स्टेनोग्राफर एंड सेक्रेटेरियल असिस्टेंट (हिंदी/अंग्रेजी)
ड्रेस मेकिंग
कढ़ाई और सिलाई का कार्य (Embroidery & Needle Work)
इन कोर्सेज में मानसिक क्षमता और बुनियादी कंप्यूटर या कम्युनिकेशन स्किल्स अधिक जरूरी होती हैं, ना कि भारी काम।